मैंने पूछा चाà¤à¤¦ से कि
देखा है कहीं मेरे यार सा हसीं
चाà¤à¤¦ ने कहा, चांदनी की क़सम
नहीं, नहीं, नहीं…मैंने पूछा चाà¤à¤¦ से…
मैंने ये हीज़ाब तेरा ढूंढा
हर जगह शबाब तेरा ढूंढा
कलियों से मिसाल तेरी पूछी
फूलों ने जवाब तेरा ढूंढा
मैंने पूछा बाग से, फ़लक हो या जमीं
à¤à¤¸à¤¾ फूल है कहीं
बाग़ ने कहा हर कली की क़सम नहीं
नहीं, नहीं… मैंने पूछा चाà¤à¤¦ से…
हो.. चाल है की मौज की रवानी
जà¥à¤²à¥à¥ž है की रात की कहानी
होंठहै की आईने कवल के
आà¤à¤– है के महका दो की रानी
मैंने पूछा जाम से, फ़लक हो या जमीं
à¤à¤¸à¥€ मह à¤à¥€ है कहीं
जाम ने कहा महकशीं की क़सम नहीं
नहीं, नहीं.. मैंने पूछा चाà¤à¤¦ से…
खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रती जो तूने पाई
लà¥à¤Ÿ गयी ख़à¥à¤¦à¤¾ की बस ख़à¥à¤¦à¤¾à¤ˆ
मीर के गज़ल कहूठतà¥à¤à¥‡ मैं या
कहूठखीयाम की रà¥à¤¬à¤¾à¤ˆ
मैं जो पूछूं शायरों से
à¤à¤¸à¤¾ दिल नाशी कोई शेर है कहीं
शायर कहे शायरी की क़सम
नहीं, नहीं, नहीं…
मैंने पूछा चाà¤à¤¦ से कि देखा है कहीं
मेरे यार सा हसीं
चाà¤à¤¦ ने कहा, चांदनी की क़सम
नहीं, नहीं, नहीं.. मैंने पूछा चाà¤à¤¦ से..